आज का हिन्दू पंचांग Aaj ka Hindu panchang
दिनांक – 14 मार्च 2025
दिन- शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – उत्तरायण
ऋतु – बसन्त
मास – फाल्गुन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पूर्णिमा दोपहर 12:23 तक तत्पश्चात् प्रतिपदा
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी पूर्ण रात्रि तक
योग- शूल दोपहर 01:24 तक तत्पश्चात् गण्ड
राहुकाल – सुबह 11:19 से दोपहर 12:49
सूर्योदय – 06:53
सूर्यास्त – 06:44
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:13 से प्रातः 06:01 तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:25 से दोपहर 01:13 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 मार्च 15 से रात्रि 01:12 मार्च 15 तक
व्रत पर्व विवरण – फाल्गुनी पूर्णिमा, होली, श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती, लक्ष्मी जयंती, षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल दोपहर 12:36 से सूर्यास्त तक)
विशेष- प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रंगों में प्रयुक्त रसायनों का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
रासायनिक रंग मुख्यतः इंजन आयल के साथ आक्सीडाइज्ड धातु या औद्योगिक वर्णकों (डाई) के साथ मिला कर तैयार किये जाते हैं ।जैसेः- काला रंग– लेड आक्साइड — गुर्दे की बीमारी हरा रंग – कॉपर सल्फेट – आँखों में जलन, सूजन, अस्थायी अंधत्व सिल्वर रंग – एल्युमिनियम ब्रोमाइड – कैंसर. नीला रंग – प्रूशियन ब्लू – ‘कान्टेक्ट डर्मेटाइटिस’ नामक भयंकर त्वचारोग. लाल रंग – मरक्यूरी सल्फाइट – त्वचा का कैंसर. अतः होली खेलें परंतु रासायनिक रंगों से नहीं प्राकृतिक रंगों से, जिन्हें आप घर पर आसानी से बना सकते हैं ।
प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ
केसरिया रंगः पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है । पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें । सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर होली का आनंद उठायें । यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है । शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है । इसमें औषधिय गुण होते हैं । आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है ।
सूखा हरा रंगः मेंहदी या हिना का पाउडर तथा गेहूँ या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनायें । आँवला चूर्ण व मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है ।
सूखा पीला रंगः हल्दी व बेसन मिला के अथवा अमलतास व गेंदे के फूलों को छाया में सुखाकर पीस के पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं ।
गीला पीला रंगः एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़ने वाले रंग जो खाने के काम आते हैं, उनका भी उपयोग कर सकते हैं । अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी भिगोकर रखें, सुबह उबालें ।
लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं । यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है। दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें ।
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