वैदिक हिंदू पंचांग Hindu panchang
दिनांक – 26 अप्रैल 2025, 26/4/2025
दिन – शनिवार Saturday
विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
शक संवत -1947
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
मास – वैशाख (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार चैत्र)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – त्रयोदशी सुबह 08:27 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद सुबह 06:27 तक तत्पश्चात रेवती
योग – वैधृति सुबह 08:42 तक तत्पश्चात विष्कंभ
राहुकाल – सुबह 09:24 से सुबह 11:00 तक
सूर्योदय – 06:12
सूर्यास्त – 07:00
दिशाशूल – पूर्व दिशा मे
व्रत पर्व विवरण- मासिक शिवरात्रि,पंचक,चतुर्दशी क्षय तिथि
विशेष- त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
27 अप्रैल 2025 रविवार को दर्श अमावस्या एवं वैशाख अमावस्या है। घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
आहुति मंत्र
१. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
२. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नम:
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