
8 March 2025, Saturday,by Divam astro world
दिनांक – 8 मार्च 2025
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – उत्तरायण
ऋतु – बसन्त
मास – फाल्गुन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी सुबह 08:16 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – आर्द्रा रात्रि 11:28 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग- आयुष्मान् शाम 04:28 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहु काल – सुबह 09:53 से सुबह 11:22 तक
सूर्योदय – 06:58
सूर्यास्त – 06:42
दिशा शूल- पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:18 से 06:06 तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:27 से दोपहर 01:14 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:26 मार्च 09 से रात्रि 01:14 मार्च 09 तक
व्रत पर्व विवरण – विश्व महिला दिवस
विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
सुपाच्य एवं बलवर्धक ज्वार
आयुर्वेद के अनुसार ज्वार शीतल, रुक्ष, पचने में हलकी, किंचित् वीर्यवर्धक तथा मूत्रजनन है । यह रक्तविकार एवं प्रकुपित कफ-पित्त को दूर करने में सहायक है । यह दो प्रकार की होती है – सफेद व लाल । सफेद ज्वार स्वास्थ्य के लिए विशेष हितकर एवं बलप्रद है ।
यह बवासीर, घाव और अरुचि में गुणकारी है । (वसंत ऋतु -19 फरवरी से 19 अप्रैल) में कफ का प्रकोप होता है । अतः कफशमन हेतु होली के दिनों में ज्वार की धानी तथा भुने हुए चने खाने का रिवाज है । इस ऋतु में ज्वार का सेवन हितकारी है ।
ज्वार में विटामिन बी-१, बी-२, बी- ३, बी-५, बी-६, बी-७, बी-९, ‘ए’, ‘ई’ तथा फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नेशियम, लौह व जिंक आदि पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं ।
विभिन्न रोगों में लाभकारी
(१) ज्वार कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक है ।
(२) इसमें रेशे की मात्रा अधिक है तथा इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स (GI) कम है अर्थात् ज्वार रक्त शर्करा (blood sugar) को तेजी से व अधिक मात्रा में नहीं बढ़ाती । अतः यह मधुमेह (diabetes) में खूब लाभकारी है । मधुमेह में गेहूँ व चावल का सेवन बंद कर ज्वार की रोटी खाने से रक्त शर्करा आसानी से नियंत्रित रहती है ।
(३) ज्वार में कैंसर-विरोधी घटक पाये जाते हैं। अनुसंधानों के अनुसार गेहूँ और मक्के की तुलना में ज्वार का सेवन करनेवालों में कमी देखी गयी ।
(४) मोटापा एक गम्भीर समस्या है जो मधुमेह और हृदयरोग जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है । ज्वार में रेशे की अधिक मात्रा होने तथा यह शीघ्र तृप्तिदायक होने से मोटापे से रक्षा करती है ।
ज्वार के आटे की रोटी बनायी जाती है तथा ज्वार का दलिया, खिचड़ी व अन्य कई प्रकार के व्यंजन भी बनाये जाते हैं ।
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