यम पंचक दीपदान
दीपावली के पंच दिवसीय महापर्व पर पांचो दिन यमराज के निमित्त दीपदान करना चाहिए |
1. धनतेरस – संध्या उपरांत गेंहू के आटा से चौमुख दीपक बनाकर चार सफैद बात्ती व सरसों का तेल से युक्त करके उन दीपक को प्रज्ज्वलित करें।एक पलास के पत्ते पर दुध से बनी मिठाई के साथ दीपक को रखकर भगवान मृत्यु यम का स्मरण कर उसे घर से बाहर ले जाकर दक्षिण दिशा के ओर रख दें। अगर पलाश पता ना मिले तो गेंहू के ऊपर दीपक को रखें। धनतेरस के यम दीपदान से यम प्रसन्न होकर अकाल मृत्यु का हरण कर लेते हैं |
2. नरक चतुर्दशी के दिन इसी विधि से पुनः दीपदान होगा , इससे यम देव प्रसन्न हो हमारे पितरों को नरक से मुक्त करते हैं। पितृ दोष का शमन होता है |
3. दीपावली अमावस्या को यम दीपदान से भगवती श्री की कृपा प्राप्त होती है |
4. प्रतिपदा के यम दीपदान से शरीर के रोगों का शमन होता है। तंत्र अभिचार का नाश होता है |
5. यम द्वितीया के यम दीपदान से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है।अतः आप इन पांचों दिन यमराज के निमित्त दीपदान करें तो अति उत्तम।
धनतेरस से लेकर द्वितीया तक प्रतिदिन प्रदोष काल में दीपक से घर को सजाना अवश्य चाहिए।
मुख्य द्वार से लेकर हर कोने में। तुलसी जी के पास अवश्य।धनतेरस को गो घृत का 13 दीपक अवश्य प्रज्वलित करे |
चतुर्दशी को सरसो तेल का 14 दीपक प्रज्वलित करे |
अमावस्या को 27 गो घृत 27 सरसो तेल व 27 तिल तेल का दीपक प्रज्वलित कर पुजन स्थान पर देवताओं के निमित्त दीपदान अवश्य करें
प्रतिपदा व द्वितीया को यथा सामर्थ्य दीपदान अवश्य करे |
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