वैदिक हिंदू पंचांग

दिनांक – 18 अप्रैल 2025

दिन – शुक्रवार

विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)

शक संवत -1947

अयन – उत्तरायण

ऋतु – वसंत ॠतु

मास – वैशाख (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार चैत्र)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – पंचमी शाम 05:07 तक तत्पश्चात षष्ठी

नक्षत्र – ज्येष्ठा सुबह 08:21 तक तत्पश्चात मूल

योग – परिघ 19 अप्रैल रात्रि 01:04 तक तत्पश्चात शिव

राहुकाल – सुबह 11:03 से दोपहर 12:38 तक

सूर्योदय – 06:18

सूर्यास्त – 06:57

दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे

व्रत पर्व विवरण- गुड फ्राईडे

विशेष- पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

शीघ्र कर्जमुक्ति के उपाय

जब तक आपका कर्जा पूर्ण रूप से समाप्त न हो जाय तब तक ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस मंत्र का मन-ही-मन जप करते हुए पीपल-वृक्ष को जल अर्पित कर उसकी गीली मिट्टी से तिलक किया करें। इससे आप शीघ्र कर्ज-मुक्त होंगे ।

यदि आपके व्यवसाय में कारीगर या नौकर हैं तो उन्हें महीने में एक बार अवश्य अपने घर का भोजन इस भाव से खिलायें कि ‘सभी रूपों में भगवान हैं, आज हम इन रूपों में विराजित भगवान को भोग अर्पण कर रहे हैं।’ इससे आपके व्यवसाय में हमेशा भगवान की कृपा बनी रहेगी । आपके सहयोगी पूरे जी-जान से कार्य में लगे रहेंगे, जिससे केवल कर्ज का चुकाना ही नहीं अपितु बरकत लाना भी आसान हो जायेगा। हर महीने नहीं कर सकते तो विशेष अवसरों पर ही करें।

ग्रीष्म ऋतु में स्वास्थ्य – सुरक्षा

20 अप्रैल 2025 रविवार से ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ ।

ग्रीष्म ऋतु में शरीर का जलीय व स्निग्ध अंश घटने लगता है | जठराग्नि व रोगप्रतिकारक क्षमता भी घटने लगती है | इससे उत्पन्न शारीरिक समस्याओं से सुरक्षा हेतु नीचे दी गयी बातों का ध्यान रखें –

१] ग्रीष्म ऋतु में जलन, गर्मी, चक्कर आना, अपच, दस्त, नेत्रविकार ( आँख आना / Conjunctivitis ) आदि समस्याएँ अधिक होती हैं | अत: गर्मियों में घर में बाहर निकलते समय लू से बचने के लिए सिर पर कपड़ा बाँधे अथवा टोपी पहने तथा एक गिलास पानी पीकर निकलें | जिन्हें दोपहिया वाहन पर बहुत लम्बी मुसाफिरी करनी हो वे जेब में एक प्याज रख सकते हैं |

२] उष्ण से ठंडे वातावरण में आने पर १० – १५ मिनट तक पानी न पियें | धूप में से आने पर तुंरत पूरे कपड़े न निकालें, कूलर आदि के सामने भी न बैठें | रात को पंखे, एयर – कंडिशनर अथवा कूलर की हवा में सोने की अपेक्षा हो सके तो छत पर अथवा खुले आँगन में सोयें | यह सम्भव न हो तो पंखे, कूलर आदि की सीधी हवा न लगे इसका ध्यान रखें |

३] इस मौसम में दिन में कम – से – कम ८ – १० गिलास पानी पियें | प्रात: पानी – प्रयोग ( रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पीये ) भी | पानी शरीर के जहरी पदार्थों(toxins) को बाहर निकालकर त्वचा को ताजगी देने में मदद करता है |

४] मौसमी फल या उनका रस व ठंड़ाई, नींबू की शिकंजी, पुदीने का शर्बत , गन्ने का रस, गुड का पानी आदि का सेवन लाभदायी है | गर्मियों में दही लेना मना है और दूध, मक्खन, खीर विशेष सेवनीय हैं |

५] आहार ताजा व सुपाच्य लें | भोजन में मिर्च, तेल, गर्म मसाले आदि का उपयोग कम करें | खमीरीकृत(fermented) पदार्थ, बासी व्यंजन बिल्कुल न लें | कपड़े सूती, सफेद या हल्के रंग के तथा ढीले – ढाले हों | सोते समय मच्छरदानी आदि का प्रयोग अवश्य करें |

६] गर्मियों में फ्रीज का ठंडा पानी पीने से गले, दाँत, आमाशय व आँतो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | मटके या सुराही का पानी पीना निरापद है ( किंतु बिनजरूरी या प्यास से अधिक ठंडा पानी पीने से जठराग्नि मंद होती है ) |

७] इन दिनों में छाछ का सेवन निषिद्ध है | अगर लेनी ही हो तो ताज़ी छाछ में मिश्री, जीरा, पुदीना, धनिया मिलाकर लें |

८] रात को देर तक जागना, सुबह देर तक सोना, अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम, अधिक उपवास तथा स्त्री – सहवास – ये सभी इस ऋतु में वर्जित हैं |

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