
गर्भ पर ग्रहों का प्रभाव एक स्वस्थ गर्भ मे बच्चा लगभग 9 महीने और 9 दिन रहता है और अलग-अलग महीने में अलग-अलग ग्रह अपनी किरणों से गर्भ को प्रभावित करती हैं। हर ग्रह अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चे के शरीर के भागो को विकसित करता है। अगर कोई ग्रह गर्भ मे पल रहे बच्चे के समय कमजोर है तो उपाय से उसको ठीक किया जा सकता है।
1. गर्भ से 1 महीने तक शुक्र का प्रभाव रहता है, अगर गर्भावस्था के समय शुक्र कमजोर है तो शुक्र को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए। अगर शुक्र मजबूत होगा तो बच्चा स्वस्थ व सुंदर होगा । और उस समय स्त्री को स्वास्थ्यवर्धक व चटपटी चीजे खानी चाहिए। देवी मां की पूजा उपासना करनी चाहिए। और इस समय के दौरान शास्त्रों में कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं जिनका जप करना चाहिए।
2. दूसरे महीने मंगल का प्रभाव रहता है। मंगल ग्रह का प्रभाव बच्चों के शरीर और शक्ति को प्रभावित करता है। इस माह में मीठे फल एवं मिठाइयां खाकर मंगल को मजबूत करें तथा लाल वस्त्र ज्यादा धारण करे। इस समय मंगल ग्रह के कुछ विशेष उपाय भी करने चाहिए।
3. तीसरे महीने गुरु का प्रभाव रहता है। जो बच्चे के ज्ञान व बुद्धि को प्रभावित करता है। इस माह में दूध और केसर से बनी मिठाई या पकवान का सेवन करे तथा पीले वस्त्र ज्यादा धारण करे। शास्त्रोक्त गुरु ग्रह के कुछ विशेष उपाय हैं उन्हें भी करना चाहिए।
4. चौथे महीने सूर्य का प्रभाव रहता है जो बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इस माह में फलों के रसों का सेवन करें तथा महरून वस्त्र ज्यादा धारण करे। इस समय के दौरान सूर्य ग्रह के शास्त्रोंक्त उपाय जरूर करें।
5. पांचवे महीने चंद्र का प्रभाव रहता है जो बच्चे को मन को और माता की साथ संबंध हो को प्रभावित करता है। इस माह में दूध, दही, छाछ तथा चावल तथा सफ़ेद चीजों का सेवन करे तथा सफ़ेद वस्त्र ज्यादा धारण करे। और चंद्रमा के शास्त्रोक्त उपाय करें।
6. छटे महीने शनि का प्रभाव रहता है जो बच्चे के कुछ विशेष अंगों को प्रभावित करता है। इस माह में कसैली चीजों केल्शियम और रसों के सेवन करे तथा आसमानी वस्त्र ज्यादा धारण करे। इस महीने में शनि ग्रह के कुछ विशेष उपाय जरूर करना चाहिए।
7. सातवे महीने बुध का प्रभाव रहता हैं जो बच्चे की बुद्धि को प्रभावित करता है। इस माह में हरी सब्जियां, जूस और फलों का खूब सेवन करे तथा हरे रंग के वस्त्र ज्यादा धारण करे। और कुछ शास्त्र सम्मत बुध ग्रह के उपाय भी इस महीने में करने चाहिए। इस समय के दौरान प्रतिदिन श्री गणेश भगवान को ‘दूर्वा’ अर्पित करें
8. आठवे महीने गर्भ पर चंद्र का प्रभाव ज्यादा रहता है जो बच्चे के मन को प्रभावित करता है। इस समय सफेद वस्तुओं का प्रयोग ज्यादा करें। और ” नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें/ जल को हमेशा मंत्रों से अभिमंत्रित करके पिएं।
9. नौवें महीने सूर्य का प्रभाव रहता है जो बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इस माह में गायत्री मंत्र का जप करें/इस दौरान घर में एक छोटा सा गायत्री यज्ञ-हवन करें। और सूर्य से संबंधित उपाय करें और दान- पुण्य इत्यादि जरूर करें।
यदि किसी महीने में गोचर के समय संबंधित ग्रह अस्त, वक्री इत्यादि है तो उस समय के दौरान उस ग्रह के उपचार जरूर करें, जिससे कि ग्रह का शुभ प्रभाव गर्भस्थ शिशु को प्राप्त हो सके |
ध्यान रहे जितना गर्भ ग्रहों की किरणों से तपेगा /और जितना शास्त्रोक्त नियमों का पालन होगा उतना ही बच्चा स्वस्थ और मेधावी होगा और बच्चे का भविष्य अच्छा होगा।।
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