दिनांक – 23 फरवरी 2025

दिन – रविवार

विक्रम संवत् – 2081

अयन – उत्तरायण

ऋतु – बसन्त

मास – फाल्गुन

पक्ष – कृष्ण

तिथि – दशमी दोपहर 01:55 तक तत्पश्चात एकादशी

नक्षत्र – मूल शाम 06:43 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा

योग – वज्र सुबह 11:19 तक, तत्पश्चात सिद्धि

राहु काल – शाम 05:13 से शाम 06:40 तक

सूर्योदय – 07:09

सूर्यास्त – 06:36

दिशा शूल – पश्चिम दिशा में

ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:27 से 06:16 तक

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:30 से दोपहर 01:16 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 फरवरी 24 से रात्रि 01:18 फरवरी 24 तक

व्रत पर्व विवरण – महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 07:06 से शाम 6:43 तक)

विशेष – दशमी कलंबी शाक त्याज्य है व एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

स्नान कैसे करना चाहिये ??

जहाँ से प्रवाह आता हो वहाँ पहले सिर की डुबकी मारें । घर में भी स्नान करे तो पहले जल सिर पर डालें…. पैरों पर पहले नहीं डालना चाहिए । शीतल जल सिर को लगने से सिर की गर्मी पैरों के तरफ जाती है ।

और जहाँ जलाशय है, स्थिर जल है वहाँ सूर्य पूर्वमुखी होकर स्नान करें ।

घर में स्नान करें तो उस बाल्टी के पानी में जौ और तिल अथवा थोड़ा गोमूत्र अथवा तीर्थोद्क पहले (गंगाजल आदि) डाल कर फिर बाल्टी भरें तो घर में भी तीर्थ स्नान माना जायेगा ।

रविवार विशेष

रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)

रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)

रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।

रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।

स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।

रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।

रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।