दिनांक – 25 फरवरी 2025
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – उत्तरायण
ऋतु – बसन्त
मास – फाल्गुन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वादशी दोपहर 12:47 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – उत्तराषाढ़ा शाम 06:31 तक तत्पश्चात श्रवण
योग – व्यतीपात सुबह 08:15 तक, तत्पश्चात वरीयान प्रातः 05:51 फरवरी 26 तक तत्पश्चात परिघ
राहु काल – दोपहर 03:47 से शाम 05:14 तक
सूर्योदय – 07:08
सूर्यास्त – 06:37
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:25 से 06:15 तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:30 से दोपहर 01:16 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 फरवरी 26 से रात्रि 01:17 फरवरी 26 तक
व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत, त्रिपुष्कर योग (प्रातः 07:05 से दोपहर 12:47 तक)
विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोइ) व त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
वसंत ऋतु में क्या न करें ?
1] खट्टे, मधुर, खारे, स्निग्ध (घी – तेल से बने), देर से पचनेवाले व शीतल पदार्थो का सेवन हितकर नहीं है, अत: इनका सेवन अधिक न करें । (अष्टांगह्रदय, चरक संहिता )
2] नया गेहूँ व चावल, खट्टे फल, आलू, उड़द की दाल, कमल – ककड़ी, अरवी, पनीर, पिस्ता, काजू, शरीफा, नारंगी, दही, गन्ना, नया गुड़, भैस का दूध, सिंघाड़े, कटहल आदि का सेवन अहितकर है ।
3] दिन में सोना, ओस में सोना, रात्रि–जागरण, परिश्रम न करना हानिकारक है । अति परिश्रम या अति व्यायाम भी न करें ।
4] आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स व फ्रिज के ठंडे पानी का सेवन न करें ।
5] एक साथ लम्बे समय तक बैठे या सोयें नहीं तथा अधिक देर तक व ठंडे पानी से स्नान न करें ।
प्रदोष व्रत – 25 फरवरी 2025
सूतजी कहते हैं – त्रयोदशी तिथि में सायंकाल प्रदोष कहा गया है । प्रदोषके समय महादेवजी कैलासपर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं । अतः धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा रखनेवाले पुरुषों को प्रदोष में नियम पूर्वक भगवान् शिव की पूजा, होम, कथा और गुणगान करने चाहिये ।
दरिद्रता के तिमिर से अन्धे और भवसागर में डूबे हुए संसार भय से भीरु मनुष्यों के लिये यह प्रदोषव्रत पार लगानेवाली नौका है ।
भगवान् शिव की पूजा करने से मनुष्य दरिद्रता, मुर्त्यु-दुःख और पर्वत के समान भारी ऋण-भार को शीघ्र ही दूर कर के सम्पत्तियों से पूजित होता है।
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