
🔹ॐ कार मंत्र में शक्तियाँ हैं (Mantra Chanting)
🔸रक्षण शक्ति : ॐ सहित मंत्र का जप करते हैं तो वह हमारे जप तथा पुण्य की रक्षा करता है । किसी नामदान के लिए हुए साधक पर यदि कोई आपदा आनेवाली है, कोई दुर्घटना घटने वाली है तो मंत्र भगवान उस आपदा को शूली में से काँटा कर देते हैं । साधक का बचाव कर देते हैं। ऐसा बचाव तो एक नहीं, हजारों साधकों के जीवन में चमत्कारिक ढंग से महसूस होता है ।
🔸गति शक्ति : जिस योग में, ज्ञान में, ध्यान में आप फिसल गये थे, उदासीन हो गये थे, किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये थे उसमें मंत्रदीक्षा लेने के बाद गति आने लगती है । मंत्रदीक्षा के बाद आपके अंदर गति शक्ति कार्य में आपको मदद करने लगती है ।
🔸कांति शक्ति : मंत्रजाप से जापक के कुकर्मों के संस्कार नष्ट होने लगते हैं और उसका चित्त उज्जवल होने लगता है । उसकी आभा उज्जवल होने लगती है, उसकी मति-गति उज्जवल होने लगती है और उसके व्यवहार में उज्जवलता आने लगती है । इसका मतलब ऐसा नहीं है कि आज मंत्र लिया और कल सब छूमंतर हो जायेगा… धीरे-धीरे होगा। एक दिन में कोई स्नातक नहीं होता, एक दिन में कोई एम.ए. नहीं पढ़ लेता, ऐसे ही एक दिन में सब छूमंतर नहीं हो जाता। मंत्र लेकर ज्यों-ज्यों आप श्रद्धा से, एकाग्रता से और पवित्रता से जप करते जायेंगे त्यों-त्यों विशेष लाभ होता जायेगा ।
🔸प्रीति शक्ति : ज्यों-ज्यों आप मंत्र जपते जायेंगे त्यों-त्यों मंत्र के देवता के प्रति, मंत्र के ऋषि, मंत्र के सामर्थ्य के प्रति आपकी प्रीति बढ़ती जायेगी ।
🔸तृप्ति शक्ति : ज्यों-ज्यों आप मंत्र जपते जायेंगे त्यों-त्यों आपकी अंतरात्मा में तृप्ति बढ़ती जायेगी, संतोष बढ़ता जायेगा ।**जिनको गुरुमंत्र सिद्ध हो गया है उनकी वाणी में सामर्थ्य आ जाता है । नेता भाषण करता है त लोग इतने तृप्त नहीं होते, किंतु जिनका गुरुमंत्र सिद्ध हो गया है ऐसे महापुरुष बोलते हैं तो लोग बड़े तृप्त हो जाते हैं और महापुरुष के शिष्य बन जाते हैं ।
🔸अवगम शक्ति : मंत्रजाप से दूसरों के मनोभावों को जानने की शक्ति विकसित हो जाती है । दूसरे के मनोभावों को आप अंतर्यामी बनकर जान सकते हो ।
🔸प्रवेश अवति शक्ति : अर्थात् सबके अंतरतम की चेतना के साथ एकाकार होने की शक्ति । अंतःकरण के सर्व भावों को तथा पूर्वजीवन के भावों को और भविष्य की यात्रा के भावों को जानने की शक्ति कई योगियों में होती है । वे कभी-कभार मौज में आ जायें तो बता सकते हैं कि आपकी यह गति थी, आप यहाँ थे, फलाने जन्म में ऐसे थे, अभी ऐसे हैं । जैसे दीर्घतपा के पुत्र पावन को माता-पिता की मृत्यु पर उनके लिए शोक करते देखकर उसके बड़े भाई पुण्यक ने उसे उसके पूर्वजन्मों के बारे में बताया था । यह कथा योगवाशिष्ठ महारामायण में आती है ।
🔸श्रवण शक्ति : मंत्रजाप के प्रभाव से जापक सूक्ष्मतम, गुप्ततम शब्दों का श्रोता बन जाता है । जैसे, शुकदेवजी महाराज ने जब परीक्षित के लिए सत्संग शुरु किया तो देवता आये । शुकदेवजी ने उन देवताओं से बात की । माँ आनंदमयी का भी देवलोक के साथ सीधा सम्बन्ध था । और भी कई संतो का होता है । दूर देश से भक्त पुकारता है कि गुरुजी ! मेरी रक्षा करो… तो गुरुदेव तक उसकी पुकार पहुँच जाती है !
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Mahesh Bisawa · February 19, 2025 at 4:08 pm
Good information 👍