आर्थिक स्थिति कब तक सही होगी?

अच्छा रुपये पैसा कमा रहे है लेकिन अचानक आर्थिक रूप से स्थिति कमजोर होने लगे या अचानक कुछ समय से आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगी है तब यही चिंता सताने लगती हैं कब तक कैसे आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और क्या उपाय कर ले जिससे आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाये आदि तो आज इसी बारे में बात करते है।

कुंडली का दूसरा और ग्यारहवाँ भाव और इन भावो के स्वामी आर्थिक स्थिति के बारे में पूरी तरह जानकारी देते है दूसरा भाव पैसा जुड़ने का है तो ग्यारहवाँ भाव कमाई का है।अब दूसरे भाव स्वामी कुंडली मे पीड़ित हैं या पाप ग्रहों से या कुंडली के अशुभ योगों से सम्बन्ध में है तब जब दूसरे भाव स्वामी की दशा अन्तर्दशा शुरू होती हैं तब आर्थिक रूप से धन की हानि, जुड़ा हुआ रुपये पैसा भी निकल जाता है।अब ग्यारहवाँ भाव और ग्यारहवे भाव स्वामी होते है कमाई के, धन आगमन के, अब ग्यारहवें भाव स्वामी और ग्यारहवाँ भाव कुंडली मे अच्छी स्थिति में है लेकिन किसी तरह के अशुभ योगों में ग्यारहवें भाव स्वामी हैं तब ऐसी स्थिति में अचानक जब ग्यारहवे भाव स्वामी ग्रहो की दशाएँ शुरू होते ही कमाई में गिरावट, धन स्थिति कमजोर होने लगती है और जब तक ग्रहदशाये खराब चलती हैं , कमाई और धन की कमजोर बनी रहती है। ऐसी स्थिति में ग्यारहवे भाव स्वामी या ग्यारहवे भाव से सम्बन्ध बना रहे अनुकूल ग्रहो की दशाएँ शुरू होंगी तब धीरे धीरे आर्थिक स्थिति अनुकूल और अच्छी होनी चालू होगी, इसके अलावा उपाय कर लेने के बाद स्थिति धन की अनुकूल होनी चालू होगी।

अब कुछ उदाहरणों से समझते है

उदाहरण

वृष लग्न में ग्यारहवे भाव स्वामी गुरु तो दूसरे भाव स्वामी बुध है अब गुरु और बुध दोनों अगर कुंडली में अच्छी स्थिति में है और दूसरे/ग्यारहवे भाव भी अच्छी स्थिति में है तब यहाँ ग्यारहवे और दूसरे भाव स्वामी की अनुकूल दशा अन्तर्दशाये शुरू होंगी तब आर्थिक स्थिति ठीक होनी चालू होंगी, इसके अलावा उपाय करने से भी आर्थिक स्थिति को अनुकूल किया जा सकता है।

उदाहरण

सिंह लग्न में दूसरे और ग्यारहवे भाव स्वामी बुध कुंडली मे बलवान स्थिति में अगर है और दूसरा/ग्यारहवाँ भाव भी अच्छी स्थिति में हैं तब आर्थिक स्थिति तो अच्छी रहेगी पर किसी कारण से अशुभ ग्रहदशाये कुंडली मे शुरू हो गई है तब अशुभ ग्रहदशाओ के कारण दिक्कते आर्थिक रूप से आएगी जब तक समय खराब ग्रहो का रहेगा तब तक, फिर जब दूसरे और ग्यारहवे भाव सम्बन्धी अनुकूल ग्रहो की दशाएँ शुरू होंगी तब आर्थिक स्थिति खुद सही होने लगेगी इसके अलावा उपाय आर्थिक ग्रहो संबंधी करने से स्थिति में सुधार होने लगेगा।

उदाहरण

कुम्भ लग्न में दूसरे और ग्यारहवे भाव स्वामी गुरु कुंडली मे मजबूत है और दूसरा और ग्यारहवे भाव भी मजबूत है तब आर्थिक स्थिति इस हिसाब से कुंडली मे ठीक है पर यहाँ ग्रहो का गोचर दूसरे और ग्यारहवे भाव पर अशुभ आ गया हैं और ग्रहदशा भी अशुभ फल देने वाले ग्रहो की इस समय आ गई हैं तब आर्थिक स्थिति में बाधा और धन कमाई होने में दिक्कते बनने लगेगी आदि, अब दूसरा भाव ग्यारहवाँ भाव और गुरु बलवान है कुंडली मे अब जब दूसरे ,ग्यारहवे भाव स्वामी या इन भावों से सम्बंधित ग्रहो की जब अनुकूल/शुभ फल देने वाले ग्रहो की दशाएँ शुरू होंगी तब आर्थिक स्थिति सही होनी और आर्थिक रूप से सुधार होना शुरू होगा।

अगर लंबे समय तक ग्रहदशाओ के खराब रहने के कारण आर्थिक स्थिति खराब या कमजोर होती जा रही है तब उपाय आर्थिक ग्रहो संबंधी करने से आर्थिक रूप से स्थिति अच्छी होने लगेगी।