Bhavanaji Blog – भावनाजीका ब्लॉग

ज्योतिष शास्त्र अनुसार जन्म कुंडली के पहले, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल की स्थिति होने पर जातक या जातिका को मांगलिक कहा जाता है। यह मंगल दोष लग्न कुंडली के इलावा चंद्र और शुक्र कुंडली से भी देखा जाता है। और फिर उस हिसाब से मंगल दोष परिहार यानी विवाह हेतु उस तरह की कुंडली देखी जाती है जिसके माध्यम से मंगल दोष परिहार हो जाए। जैसे कि मांगलिक लड़के , लड़की का विवाह मांगलिक लड़के , लड़की से ही किया जाता है। इसी तरह ऐसा भी विचार है दोनों में से किसी एक की कुंडली में जिस भाव में मंगल हो उस भाव में दूसरे की कुंडली में अशुभ ग्रह आने से भी मंगल दोष का परिहार हो जाता है।

जन्म कुंडली में शुभ और बलवान चंद्रमा या शुक्र केंद्र में होने से मंगल दोष परिहार होता है।

जन्म कुंडली में मंगल अस्त हो तो भी मंगल दोष का परिहार होता है।

जन्म कुंडली में मंगल अपनी या उच्च राशि में हो तो भी मंगल दोष का परिहार होता है।

जन्म कुंडली में मंगल पर गुरु की दृष्टि होने से या फिर मंगल राहु युति होने पर भी मंगल दोष का परिहार होता है।

जन्म कुंडली में पहले, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या बाहरवें भाव में शनि होने से भी मंगल दोष का परिहार होता है।अगर आप मंगल दोष से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन लाल रंग की चीजें जैसे मसूर दाल, लाल मिर्च, लाल रंग की मिठाई, लाल रंग का वस्त्र आदि दान करें।

हर मंगलवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद हनुमान जी की पूजा करें। इस समय हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद हनुमान जी के चरणों में सिंदूर अर्पित करें।

मांगलिक जातक मंगलवार के दिन बाग या गार्डन में अशोक के पेड़ लगाएं। इस उपाय को करने से भी मंगल दोष दूर होता है।

मंगल दोष कि शांति के लिए तंदूर में बनी मीठी रोटी मंगलवार के दिन किसी पक्षी या जानवर को खाने को दें।


1 Comment

Ramesh Jain · February 22, 2025 at 9:56 pm

Nice blog nice design. Great work. Jai Hindu dharma.

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